अगरबत्ती न जलाने का वैज्ञानिक कारण क्या है?

अगरबत्ती न जलाने का वैज्ञानिक कारण क्या है?

नमस्कार दोस्तों क्या हमें अगरबत्ती का इस्तमाल पूजा में करना चाहिए या नहीं ऐसा सवाल बहोत बार आपके मन में आ रहा होगा, तो आजके ब्लॉग में हम जानेंगे की पूजा में अगरबत्ती का इस्तमाल करना चाहिए या नहीं | नमस्कार दोस्तो मे हू आकाश और आप देख रहे हो The Sanatani Tales में |

चलिए जानते हैं की इसके पीछे आध्यात्मिक कारण क्या है ?

तो दोस्तों अगरबत्ती बांस यानी बाम्बू की लकड़ी की बनाई जाती है और हमारे सनातन धर्म में बांस जलाते नहीं है बल्कि उसकी पूजा की जाती है इसलिए बांस से बनी हुई अगरबत्ती हम नहीं जला सकते | हिंदू धर्म के अनुसार बांस जलाने से पितृ दोष लगता है।

आपने कभी ये जिच नोटिस की होगी कभी की आपके घर में कभी पूजा या हवन के समय पुजारीजी कहते हैं ” धूपम दीपम समर्पयामि “. इसका मतलब हैं की भगवान् को धुप, दिप समर्पित कीजिये | क्योकि धुप हवन की सामग्री से बनती है जैसे की गौ माता का गोबर, फूल, कपूर इत्यादि और दिप रहता है घी और बाती का | यह पूजा में अर्पित किया जाता है

चलिए जानते हैं की इसके पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है ?

बांस को ना जलाने के पीछे जो वैज्ञानिक कारण है वो ये है कि इसमें लेड पाया जाता है. लेड के साथ साथ और भी कई तरह की धातुएं इसमें पाई जाती हैं जो इंसानी शरीर के लिए ठीक नहीं हैं. यही वजह है कि विज्ञान के जानकार भी इस लकड़ी को जलाने से मना करते हैं. दरअसल, जब आप बांस को जलाते हैं तो इसमें मौजूद तत्व उसके धुएं के जरिए आपके शरीर में घुस जाते हैं और फिर ये कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं. इसके तत्व से न्यूरो और लिवर संबंधी बीमारियां बहुत तेजी से होती हैं. यही वजह है कि जानकार हमेशा से बांस को जलाने से मना करते हैं.

अगर आपको अगरबत्तीही जलानी है तो बिना बांस के लकडी से बनायीं हुई और पूजा,हवन की सामग्री से बनाई हुई अगरबत्ती जला सकते है |

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