Narmada River: नर्मदा के कुंवारी होने की कहानी

Narmada River: नर्मदा के कुंवारी होने की कहानी

नमस्कार मित्रो, हर हर महादेव,

नर्मदा भारत की प्रमुख नदियों में से एक है. इसके अलावा माँ नर्मदा सभी पवित्र नदियोमे से एक पवित्र नदी भी है, जिसका हमारे हिंदू धर्म ग्रंथओं में उल्लेख मिलता है. नर्मदा नदी का प्रचीन नाम रेवा था | कहते हैं माँ गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह माँ नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही मिल जाता है | माँ नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से जीवन के समस्त पाप धुल जाते हैं. सभी देवों में पूजनीय मां नर्मदा, जिनके स्पर्श मात्र से मनुष्य के सभी रोग, दुख, दर्द दूर हो जाते हैं माँ नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाती है, तीन राज्यों में बहने वाली यह नदी राज्य के दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जाती है | नर्मदा नदी भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है | माँ नर्मदा नदी के जन्म की कहानी बहुत ही रोचक है और उससे भी रोचक है इसके नदी बनने की कहानी जो जानेंगे इस ब्लॉग में |

नमस्कार मित्रो , में हूँ आकाश वाघ और आपका सभी का स्वागत है The सनातनी टेल्स में |

१. जानते है की माँ नर्मदा नदी का जन्म कैसे हुआ |

माँ नर्मदा नदी के जन्म की कहानी भी बेहद दिलचस्प हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव के पसीने से माँ नर्मदा का जन्म हुआ था. जिसको लेकर एक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि भगवान शिव मैखल पर्वत पर तपस्या में लीन थे. तब उनके पसीने की जो बूंदे गिरी थी उससे ही माँ नर्मदा का जन्म हुआ था, इसलिए प्रचलित मान्यता के हिसाब से माँ नर्मदा को भगवान शंकर की पुत्री भी कहा जाता है. माना जाता है कि भगवान शिव के आदेश से ही माँ नर्मदा धरती पर आई थी, जिन्हें अविनाशी होने का वरदान भी भगवान शंकर जी ने ही दिया था | मान्यता है कि भगवान शंकर ने ही माँ नर्मदा को धरती पर भेजकर उन्हें वरदान दिया था कि जो तुम्हारे दर्शन करेगा उसके सारे पाप नष्ट हो जाएंगे |

२. जानेंगे की अपनी धारा के विपरीत क्यों बहती है नर्मदा |

और एक मान्यता है कि माँ नर्मदा नदी राजा मैखल की पुत्री थीं. जब नर्मदा विवाह योग्य हुईं तो पिता मैखल ने राज्य में उनके विवाह की घोषणा की. साथ ही यह भी कहा कि जो भी व्यक्ति ‘गुलबकावली’ का फुल लेकर आएगा राजकुमारी का विवाह उसी के साथ होगा. इसके बाद कई राजकुमार आए लेकिन कोई भी गुलबकावली लाने की शर्त पूरी नहीं कर सका. मगर राजकुमार सोनभद्र ने गुलबकावली का फुल लाने की पूरी कर दी. इसके बाद माँ नर्मदा और सोनभद्र का विवाह तय हो गया |

राजा मैखल ने जब राजकुमारी नर्मदा और राजकुमार सोनभद्र का विवाह तय किया तो राजकुमारी की इच्छा हुई कि वह एक बार सोनभद्र को देख लें. इसके लिए उन्होंने अपनी सहेली जुहिला को राजकुमार के पास अपने संदेश देकर भेजा. लेकिन काफी समय बीतने के बाद सहेली जुहिला वापस नहीं आई. इसके बाद राजकुमारी को चिंता होने लगी और वह उसकी खोज में निकल गईं. खोज करते हुए वह सोनभद्र के पास पहुंची और वहां जुहिला को उनके साथ देखा. यह देखकर उन्हें अत्यंत गुस्सा आया. इसके बाद ही उन्होंने आजीवन कुंवारी रहने का प्रण ले लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ीं. कहा जाता है कि तभी से नर्मदा अरब सागर में जाकर मिल गईं. जबकि देश की अन्य सभी नदियां बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती हैं.

तो मित्रो ये थी भगवान शिव और माँ नर्मदा की कहानी | आज के ब्लॉग में बस इतना ही उम्मीद हैं की आपको ब्लॉग अच्छा लगा होगा | अगर आपको ये ब्लॉग अच्छा लगा तो लाइक और शेयर जरूर करे | आप इसका वीडियो यूट्यूब या फेसबुक पर देख सकते है | अगर आप वीडियो Youtube पर देख रहे हो तो channel को Subscribe कीजिये और Facebook पर देख रहे हो तो पेज को फॉलो जरूर करे| इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |

हर हर महादेव

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