दोस्तों हमारे हिंदू धर्म में विभिन्न फूलों का विशेष महत्व और मान्यता है | धार्मिक पुजा, आरती, हवन आदि कार्य फ़ुलोके के बिना अधूरे माने जाते हैं। हम घर में कोई पुजा या पाठ करते है तो घरके बुजुर्ग लोक या पंडित हमें पुल अर्पण करने के लिए कहते है |
हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है | हर देवी-देवता की पूजा विधि अलग है लेकिन कुछ सामग्री ऐसी है जो हर देवी-देवता को अर्पित की जाती है. उन्हीं में से एक है फूल.
हमरो धर्म ग्रंथों में फूलों का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि देवताओं को उनकी पसंद के फूल चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं। आज के ब्लॉग में हम आपको बताएँगे कि किस देवता के पूजन में कौन से फूल चढ़ाना चाहिए
नमस्कार दोस्तों , में हु आकाश और आप सभी का स्वागत है The Sanatani Tales में |
सबसे पहले प्रथम पूजनीय भगवान गणेश जी के बारे में जानते हैं. भगवान गणेश को तुलसी दल छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढाएं जा सकते हैं। पद्मपुराण आचाररत्न में भी लिखा है कि ‘न तुलस्या गणाधिपम’अर्थात् तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। गणेश जी को दूर्वा बहुत ही प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है।
भगवान शिव
भगवान शिव को केवड़े का पुष्प नहीं चढ़ाया जाता. इसके अलावा भगवान शिव को धतूरे का फूल, आक का फूल, हरसिंगार, नागकेसर के सफेद फूल, कुश, कनेर और सूखे कमल गट्टे चढ़ाना शुभ माना जाता है.
भगवान विष्णु
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत पसंद है. काली तुलसी और गौरी तुलसी, उन्हें दोनों ही पंसद हैं |
भगवान विष्णु को कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी दल चढ़ाने से अति शीघ्र प्रसन्न होते है। कार्तिक मास में भगवान नारायण केतकी के फूलों से पूजा करने से विशेष रूप से प्रसन्न होते है ।
भगवान विष्णु जी की पूजा में आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, सेमल, कचनार और गूलर चढ़ाना अशुभ माना जाता है.|
भगवती गौरी
मां भगवती को बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल प्रिय होते हैं. भगवान शंकर को चढ़ने वाले सभी फूल मां को अतिप्रिय होते हैं.
माता लक्ष्मीजी
माता लक्ष्मी को भी प्रभु नारायण की तरह कमल का पुष्प अति प्रिय है. माता लक्ष्मी को पीला और लाल फूल चढ़ा कर भी प्रसन्न किया जा सकता है.
भगवान हनुमान
हनुमान जी हनुमान जी की पूजा में आप अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं | इनको लाल पुष्प बहुत प्रिय है। इसलिए इनपर लाल गुलाब, लाल गेंदा आदि फूल चढ़ाए जाते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।
मां काली
मां काली को गुड़हल का फूल बहुत पसंद है। मान्यता है की इनको 108 लाल गुड़हल के फूल अर्पित करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
भगवान सूर्य
भगवान सूर्य को आक का फूल सबसे ज्यादा प्रिय है. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर सूर्य को एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाए, तो सोने की 10 अशर्फियां चढ़ाने का फल मिल जाता है. इसके अलावा कनेर, कमल, चंपा, पलाश, कुटज, अशोक आदि के पुष्प भी इन्हें प्रिय हैं।
मां दुर्गा
मां दुर्गा को लाल गुलाब या लाल अड़हुल के पुष्प चढ़ाना श्रेष्ठ है।
मां सरस्वती
मां सरस्वती, विद्या की देवी है | मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सफेद या पीले रंग का फूल चढ़ाए जाते हैं। सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फिर पीले गेंदे के फूल से भी मां सरस्वती वहुत प्रसन्न होती हैं।
शनि देव
शनि देव को नीले लाजवन्ती के फूल चढ़ाने चाहिए, इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल चढ़ाने से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है।
भगवान श्री राम और माता सीता
भगवान श्री राम और माता सीता को आपनी पसंद के अनुसार कोई भी फूल अर्पित कर सकते हैं.
दोस्तों फूलो के सम्बंदित हमें कुछ बातें ध्यान रखनी होती है | भगवान की पूजा कभी भी सूखे व बासी फूलों से नहीं करते | कमल का फूल को लेकर मान्यता यह है कि यह फूल दस से पंद्रह दिन तक भी बासी नहीं होता। चंपा की कली के अलावा किसी भी पुष्प की कली देवताओं को अर्पित नहीं की जानी चाहिए।
तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बेल पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं।
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Disclaimer
यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है | यहां यह बताना जरूरी है कि The Sanatani Tales किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें |