हिंदू धर्म ग्रंथों में कई देव पुरुषों के अमर होने का उल्लेख मिलता है | इन देव पुरुषों के बारे में कहा जाता है कि आज भी ये धरती पर मौजूद हैं| हमारे प्राचीन हिंदू इतिहास और पुराणों के अनुसार ऐसे आठ व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियाँ इनमें विद्यमान है। हिंदू धर्म अनुसार इन्हें सात जीवित महामानव कहा जाता है।
तो ओ कोनसे आठ चिरंजीवी महापुरुष है, जानेंगे इस ब्लॉग में | नमस्कार दोस्तों , में हु आकाश और आप सभी का स्वागत है The Sanatani Tales में |
१) अश्वत्थामा
महाभारत के अनुसार गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र का नाम अश्वथामा था। द्वापर युग में हुए युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों की ओर से युद्ध किया था। उस समय अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया था। वह इसे वापस नहीं ले सका। इस वजह से श्रीकृष्ण ने उसे पृथ्वी पर भटकते रहने का शाप दिया था।
माना जाता है कि वे आज भी जीवित हैं तथा अपने कर्म के कारण भटक रहे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र एवं अन्य तीर्थों में यदा-कदा उनके दिखाई देने के दावे किए जाते रहे हैं। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के किले में उनके दिखाई दिए जाने की घटना भी प्रचलित है।
२) राजा बलि
असुरों के राजा बलि महान दानियों में से एक थे। वे एक महान योद्धा भी थे, जिन्होंने इंद्रलोक पर भी अधिकार कर लिया था। राजा बलि ने इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। जा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में माँगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहाँ आपकी इच्छा हो तीन पैर रख दो। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया।
३) हनुमान
त्रेता युग में अंजनी और केसरी के पुत्र के रूप में हनुमानजी का जन्म हुआ था। हनुमानजी माता सीता की खोज में लंका तक पहुंच गए। देवी सीता को श्रीराम का संदेश दिया था, इससे प्रसन्न होकर सीता ने इन्हें अजर-अमर रहने का वर दिया।
४) विभीषण
रावण के छोटे भाई विभीषण को भी चिरंजीवी माना गया है। विभीषण ने धर्म-अधर्म के युद्ध में धर्म का साथ दिया। विभीषण ने रावण को बहुत समझाया था कि वह श्रीराम से बैर न करें, लेकिन रावण नहीं माना। रावण के वध के बाद श्रीराम ने विभीषण को लंका सौंप दी थी।
५) कृपाचार्य
कृपाचार्य जी एक महान ऋषि थे| मान्यता है की कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। महाभारत के युद्ध में ऋषि कृपाचार्य जी ने कौरवों की तरफ से भूमिका निभाई थी। इनको भी चिरंजीवी का वर प्राप्त था।
६) परशुराम
भगवान विष्णु के दशावतारों में छठा अवतार भगवान परशुराम का है। इनका प्रारंभिक नाम राम था। राम के तप से प्रसन्न होकर महादेवन उन्हें फरसा भेंट में दिया था। इसके बाद राम ही परशुराम कहलाए। परशुराम का उल्लेख रामायण और महाभारत, दोनों ग्रंथों में है।
७) वेद व्यास
वेद व्यास को महाभारत का लेखक कहा गया है। इसके साथ कहा जाता है कि उन्होंने पूराणों को भी लिखा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि वेद व्यास अभी भी धरती पर मौजूद हैं। वेद व्यास चारों वेद ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन किया था। इनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन है। इन्होंने 18 पुराणों की भी रचना की है। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे।
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८) ऋषि मार्कंडेय
मार्कंडेय अल्पायु थे। उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और तप करके शिवजी को प्रसन्न किया। शिवजी के वर से वे चिरंजीवी हो गए।
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