भगवान शिव शंकर के सबसे प्रभावशाली मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। यह सबसे शक्तिशाली और अचूक है। कहा जाता है कि इस मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु से बचने की क्षमता बन जाती है।
तो आज के वीडियो में हम महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ, संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र, जप करने के फायदे, महामृत्युंजय मंत्र के हर शब्द का अर्थ, महामृत्युंजय मंत्र के रचयिता आदि के बारे में जानेंगे। | नमस्कार दोस्तों में हूँ आकाश और आप सभीका स्वागत हैं द सनातनी टेल्स में
महामृत्यंजय मंत्र
ॐ त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम पुष्टि: वर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
महामृत्युंजय मंत्र के हर शब्द का अर्थ
त्र्यंबकम् | तीन नेत्रों वाले |
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यजामहे | जिनका हम हृदय से सम्मान करते हैं और पूजते हैं। |
सुगंधिम | जो एक मीठी सुगंध के समान हैं। |
पुष्टिः | फलने फूलनेवाली स्थिति |
वर्धनम् | जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं। |
उर्वारुकम् | ककड़ी |
इव | जैसे, इस तरह |
बंधनात् | बंधनों से मुक्त करने वाले |
मृत्योः | मृत्यु से |
मुक्षीय | हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें |
मा | न |
अमृतात् | अमरता, मोक्ष |
यानी के, हम भगवान शिव शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो अपनी कृपा से पूरी दुनिया की देखभाल कर रहे हैं। हम उससे प्रार्थना करते हैं कि वह हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें।
जैसे खीरा इस बेल जैसी दुनिया में पक जाता है और अपनी बेड़ियों से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी इस दुनिया के रूप में पके हुए हैं और आपके चरणों का अमृत पीकर शरीर छोड़ कर आप में लीन हो जाते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र जप की विधि
सावन के महीने में इस मंत्र का जाप करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। वैसे यदि आप इस मंत्र का जाप अन्य महीनों में करना चाहते हैं तो सोमवार से ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए। आप इस मंत्र को रोज सुबह या शाम को रुद्राक्ष की माला के साथ भी जाप कर सकते हैं |
महामृत्युंजय मंत्र जप के फायदे|
- अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है।
- इस मंत्र का जप कर भगवान शिव को खुश करने से घर में धन की कमी नहीं होती है।
- इस मंत्र का हमेशा जप करने से व्यक्ति का समाज में वर्चस्व बढ़ने के साथ ही मान-सम्मान भी बढ़ता है।
- इस मंत्र का जप करने से शरीर रोगों से मुक्त होता है।
- इस मंत्र से शिव को खुश करके संतान का वरदान मांग सकते हैं।
महामृत्यंजय मंत्र के रचयिता
महामृत्युंजय मंत्र की रचना करने वाले मार्कंडेय ऋषि है । इनकी कथा अगर आपको पता नहीं है तो लरिपया कमेंट बॉक्स में जरूर बताये हम उनकी कहानी पर ब्लॉग बनाएंगे
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