नमस्कार मित्रों हर हर महादेव
ॐ अपने आप में एक पूर्ण मंत्र है जिसका उच्चारण हर धार्मिक कार्य व यज्ञ से पहले किया जाता हैं।ओम के बिना ना तो कोई मंत्र पूरा होता है और ना ही कोई पूजा पूरी मानी जाती है इस शब्द में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है | कहते हैं ओम के उच्चारण में बहुत शक्ति है। ओम के उच्चारण मात्र से हमारे आस-पास की नकारात्मकता शक्तिया सकारात्मकता में परिवर्तित हो जाती है | ओम क्या है ? उसका अर्थ क्या है जानिए इस ब्लॉग में | नमस्कार दोस्तों , में हु आकाश और आप सभी का स्वागत है The Sanatani Tales में |
ॐ शब्द को देखें तो सिर्फ़ ढाई अक्षर हैं, मगर समझें तो इसमें पूरे भ्रमांड का सार है। ओम को “प्रथम ध्वनि” माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रम्हांड में भौतिक निर्माण के अस्तित्व में आने से पहले जो प्राकृतिक ध्वनि थी, वह थी ओम की गूँज। इस लिए ओम को ब्रह्मांड की आवाज कहा जाता है। मान्यता है की हिन्दू धर्म में किसी भी पूजन व मंत्रोच्चार की शुरूआत ॐ के उच्चारण के साथ होती है। इसके अलावा वैज्ञानिक भी ओम के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि तरंगों पर शोध कर चुके हैं, और आगे भी कर रहे हैं।
ॐ तीन अक्षरों से मिलकर बना है
ॐ तीन अक्षरों से मिलकर बना है. अ, उ और म | इसमें अ का अर्थ है उत्पन्न करना, उ का मतलब है उठाना और म का अर्थ है मौन हो जाना यानी कि ब्रह्मलीन हो जाना | जब “अ” और “उ” को जोड़ा जाता है, तो यह मिलकर “ओ” अक्षर बन जाते हैं। कई शास्त्रों में ॐ का महत्व बताया गया है। भागवत गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति ॐ का उच्चारण करते हुए अपने शरीर का त्याग करता है, वह परमगति को प्राप्त होता है।
ॐ की उत्पत्ति कैसे हुई?
वैसे तो ॐ की उत्पत्ति का वर्णन कहीं नहीं दिया गया है। कुछ मान्यताओं के अनुसार ॐ की उत्पत्ति भगवान शिव के मुख से हुई। हालांकि ऋग्वेद और यजुर्वेद से लेकर कई उपनिषदों में ॐ का जिक्र मिलता है। मंडूक उपनिषद में कहा गया है कि संसार में भूत, भविष्य और वर्तमान काल में एवं इनसे भी परे जो हमेशा हर जगह मौजूद है, वो ॐ है।
इसका मतलब ॐ इस ब्रह्मांड में हमेशा से था, है और रहेगा। इसका कभी क्षरण नहीं हो सकता। यह एक नियमित ध्वनि है। इस ब्रह्मांड में जब किसी तरह का शोर नहीं होगा, तब सिर्फ एक ध्वनि सुनाई देगी वो है ॐ।
ॐ शब्द की विशेषता
ॐ के उच्चारण करने से हम अपने आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार देख सकते हैं।
इस मंत्र के लगातार जाप से व एकाग्र मन से हम सीधे ब्रह्मांड से जुड़ सकते हैं क्योंकि यही ब्रह्मांड की ध्वनि हैं। ॐ एक ऐसा शब्द हैं जिसकी कोई उत्पत्ति या अंत नही हैं |
ॐ जाप के फायदे
- ॐ का उच्चारण करने मात्र से ही शारीरिक और मानसिक रूप से शांति प्राप्त होती है।
- ॐ का उच्चारण और जाप करने से आसपास के वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- यदि सही प्रकार से पूर्ण ध्यान लगाकर ॐ का जाप किया जाए तो इससे आपको सकारात्मकता, शांति और ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि नियमित रूप से ॐ का जाप करने से एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। - नियमित तौर पर ॐ का उच्चारण व जाप करने से तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
जब ॐ का उच्चारण करते हैं तो पूरे शरीर में कंपन सा होता है, जिससे आपके पूरे शरीर को लाभ पहुंचता है। - ॐ का उच्चारण करने से पेट व रक्तचाप से संबंधित समस्याओं में भी लाभ मिलता है।
तो मित्रो ये थी ॐ की उत्पत्ति की कहानी | आज के ब्लॉग में बस इतना ही उम्मीद हैं की आपको ब्लॉग अच्छा लगा होगा | अगर आपको ये ब्लॉग अच्छा लगा तो लाइक और शेयर जरूर करे | आप इसका वीडियो यूट्यूब या फेसबुक पर देख सकते है | अगर आप वीडियो Youtube पर देख रहे हो तो channel को Subscribe कीजिये और Facebook पर देख रहे हो तो पेज को फॉलो जरूर करे| इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद |
हर हर महादेव
Disclaimer
यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है | यहां यह बताना जरूरी है कि The Sanatani Tales किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें |