कैसे बने भगवान गणेश प्रथम पूज्य | How did Lord Ganesha become the first worshiper?

कैसे बने भगवान गणेश प्रथम पूज्य | How did Lord Ganesha become the first worshiper?

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की आराधना सबसे पहले की जाती है। कोई भी प्रमुख व्रत, त्योहार, विवाह और अनुष्ठान बिना भगवान गणेश की आराधना किए शुरू नहीं किया जा सकता। सभी देवी-देवताओं में प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश ही हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर शुभ कार्य में भगवान गणेश की पूजा वंदना नहीं होती है वह कार्य कभी भी सफल नहीं होता है। शास्त्रों में भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा करने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं।

तो कैसे बने भगवान गणेश प्रथम पूज्य, जानेंगे इस ब्लॉग में | नमस्कार दोस्तों , में हु आकाश और आप सभी का स्वागत है The Sanatani Tales में |

एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद उत्पन्न हुआ कि धरती पर किस देवता की पूजा सारे देवगणों में पहले हो. तब सभी देवता ख़ुद को ही सर्वश्रेष्ठ बताने लगे| तब नारद जी ने इस स्थिति को देखते हुए सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने व उनसे इस प्रश्न का उत्तर बताने की सलाह दी.

जब सभी देवता भगवान शिव के समीप पहुंचे तो इस बात पर बहस हुआ की धरती पर किस देवता की पूजा सारे देवगणों में पहले हो | उनके मध्य इस झगड़े को देखते हुए भगवान शिव ने इसे सुलझाने की एक योजना सोची. उन्होंने एक प्रतियोगिता आयोजित की. सभी देवगणों को कहा गया कि वे सभी अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आएं. इस प्रतियोगिता में जो भी सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर उनके पास पहुंचेगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा.

सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े. गणेश जी भी इसी प्रतियोगिता का हिस्सा थे. लेकिन, गणेश जी बाकी देवताओं की तरह ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने की जगह अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए.

जब समस्त देवता अपनी अपनी परिक्रमा करके लौटे तब भगवान शिव ने श्री गणेश को प्रतियोगिता का विजयी घोषित कर दिया. सभी देवता यह निर्णय सुनकर अचंभित हो गए और शिव भगवान से इसका कारण पूछने लगे.
तब शिवजी ने उन्हें बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए हैं. तब सभी देवता, भगवान शिव के इस निर्णय से सहमत हुए. तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा.

यही कारण है कि भगवान गणेश अपने तेज़ बुद्धिबल के प्रयोग के कारण देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाने लगे. तब से आज तक प्रत्येक शुभ कार्य या उत्सव से पूर्व गणेश वन्दन को शुभ माना गया है. गणेश जी का पूजन सभी दुःखों को दूर करने वाला एवं खुशहाली लाने वाला है. अतः सभी भक्तों को पूरी श्रद्धा व आस्था से गणेश जी का पूजन हर शुभ कार्य से पूर्व करना चाहिए.

तो इस कारण हर शुभ कार्य में श्री गणेश जी के पूजन से ही होता है

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